अरे ओ कश्मीर के मुर्ख पत्थरबाजों,
क्या तुम्हारा ज़मीर आज नहीं रो रहा,
जब तुम्हारे बीच का एक युवक लेफ्टिनेंट फ़याज़ की निर्मम हत्या कर दी गई।
कल तक तुम ज़ाहिलों ने एक आतंकवादी के लिये अपनी माँ से दगा कर गये।
तुम्हें देख तो उपरवाला भी अफ़सोस कर रहा होगा,
मेरी बनाई सबसे अनमोल रचनाओं में से कुछ इतने ज़ाहिल हैं।
हमें गर्व है उस कश्मीरी शहीद उमर फ़याज़ पर।
उपरवाला उनकी आत्मा को शांति दे।
क्या तुम्हारा ज़मीर आज नहीं रो रहा,
जब तुम्हारे बीच का एक युवक लेफ्टिनेंट फ़याज़ की निर्मम हत्या कर दी गई।
कल तक तुम ज़ाहिलों ने एक आतंकवादी के लिये अपनी माँ से दगा कर गये।
तुम्हें देख तो उपरवाला भी अफ़सोस कर रहा होगा,
मेरी बनाई सबसे अनमोल रचनाओं में से कुछ इतने ज़ाहिल हैं।
हमें गर्व है उस कश्मीरी शहीद उमर फ़याज़ पर।
उपरवाला उनकी आत्मा को शांति दे।
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