●लौट आओ गौरैया●
हम नादान थे या वो परिन्दे,
जिस दिन हमने उन परिन्दों के आशियाने को उजाड़ा था,
वो परिन्दे भी इस बात को दिल से लगा बैठे,
छोड़ गये घर हमारे, जैसे लगा खुशियों की रंगत ही उड़ गयी हमारे घरों से,
अब तो लौटने की दुआ भी नहीं कर सकते,
क्यूंकि उनके स्वाभिमान को ठेस जो लगी थी।
फिर भी संभव हो तो हमें माफ़ कर देना,
और हमारी पुकार सुन लेना,
हम सब तुमसे कहना चाहते हैं
"लौट आओ गौरैया"
हम नादान थे या वो परिन्दे,
जिस दिन हमने उन परिन्दों के आशियाने को उजाड़ा था,
वो परिन्दे भी इस बात को दिल से लगा बैठे,
छोड़ गये घर हमारे, जैसे लगा खुशियों की रंगत ही उड़ गयी हमारे घरों से,
अब तो लौटने की दुआ भी नहीं कर सकते,
क्यूंकि उनके स्वाभिमान को ठेस जो लगी थी।
फिर भी संभव हो तो हमें माफ़ कर देना,
और हमारी पुकार सुन लेना,
हम सब तुमसे कहना चाहते हैं
"लौट आओ गौरैया"
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