मेरे हाथों में कलम देने वाले तेरा शुक्रिया,
आज कूड़ा-कचरा उठा रहा हूँ, कल इसी कलम से सोये हुये इंसानों को जगाऊंगा।
मेरी तक़दीर का अंदाज़ा नही मुझे, बस मै इसी कदर लिखता ही चला जाऊँगा।
एक उम्मीद तो मैंने भी पाल रखी है,
छोटी ही सही,
मुझे मेरा ख़ुदा भी दिखता मुझमें ही कही।
तूने कल मुझे झाड़ू दी उसका भी शुक्रिया, आज मुझे कॉपी और कलम दे रहा है उसका भी क्रिया।
pic by Sandeep gupta
आज कूड़ा-कचरा उठा रहा हूँ, कल इसी कलम से सोये हुये इंसानों को जगाऊंगा।
मेरी तक़दीर का अंदाज़ा नही मुझे, बस मै इसी कदर लिखता ही चला जाऊँगा।
एक उम्मीद तो मैंने भी पाल रखी है,
छोटी ही सही,
मुझे मेरा ख़ुदा भी दिखता मुझमें ही कही।
तूने कल मुझे झाड़ू दी उसका भी शुक्रिया, आज मुझे कॉपी और कलम दे रहा है उसका भी क्रिया।
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