मन मेरा अशांत है, दिमाग अब हदें पार कर रहा है।
कभी कभी खुद को बेबस महसूस करता हूँ।
क्यों? ऐसा क्यों होता है?
मै हर चीज़, हर इंसान, हर घटना से प्रभावित हो जाता हूँ?
मुझे पता है मेरी कमजोरी पर फिर भी कुछ कर नहीं पा रहा।
मै डरता हूँ, खुद से लड़ता हूँ।
फिर अगली सुबह खुद से बातें करता हूँ।
फिर किसी बात से डर जाता हूँ,आखिर में ना चाहते हुये भी खुद से लड़ ही जाता हूँ।
किसी रोज निखर जाता हूँ, फिर उसकी अगली सुबह बिखर जाता हूँ।
कभी कभी खुद को बेबस महसूस करता हूँ।
क्यों? ऐसा क्यों होता है?
मै हर चीज़, हर इंसान, हर घटना से प्रभावित हो जाता हूँ?
मुझे पता है मेरी कमजोरी पर फिर भी कुछ कर नहीं पा रहा।
मै डरता हूँ, खुद से लड़ता हूँ।
फिर अगली सुबह खुद से बातें करता हूँ।
फिर किसी बात से डर जाता हूँ,आखिर में ना चाहते हुये भी खुद से लड़ ही जाता हूँ।
किसी रोज निखर जाता हूँ, फिर उसकी अगली सुबह बिखर जाता हूँ।
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