कौन हो तुम? बेटे हो।
कौन हो तुम? भाई हो।
जो भी हो तुम सच्चे हो,
मेरे लिये तुम बच्चे हो।
सूरज सा हो प्रताप तुम्हारा,
तुमसे एक दिन हो जगत उजियारा।
राहों में कभी गिर जाओगे,
मुझे करीब हर वक़्त पाओगे।
इस जीवन में सम्मान सा हो तुम,
मेरे लिये मेरा अभिमान सा हो तुम।
बेशक़ अभी तुम कच्चे हो,
जैसे भी हो तुम सच्चे हो,
आखिर मेरे तुम बच्चे हो।
@दिव्यमान यती@
कौन हो तुम? भाई हो।
जो भी हो तुम सच्चे हो,
मेरे लिये तुम बच्चे हो।
सूरज सा हो प्रताप तुम्हारा,
तुमसे एक दिन हो जगत उजियारा।
राहों में कभी गिर जाओगे,
मुझे करीब हर वक़्त पाओगे।
इस जीवन में सम्मान सा हो तुम,
मेरे लिये मेरा अभिमान सा हो तुम।
बेशक़ अभी तुम कच्चे हो,
जैसे भी हो तुम सच्चे हो,
आखिर मेरे तुम बच्चे हो।
@दिव्यमान यती@
awesome poem...
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