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May I help you? ( मे आई हेल्प यू?)

Womans_day_special


 Short story (लघुकथा)👇

●May i help you (मे आई हेल्प यू)

बस स्टॉप पर खड़े हुए बहुत समय हो गया था, वहां बहुत से लोग बस का इंतज़ार कर रहे थे, मै भी उन लोगों में से एक था जिसे बस का बेसब्री से इंतजार था। मैंने देखा मुझसे कुछ दूर पर खड़ी एक लड़की जो थोड़ी जानी-पहचानी सी लग रही थी, बहुत वक़्त से कुछ बेचैन सी थी, शायद उसे कोई परेशानी थी।
मुझे बार-बार ये एहसास हो रहा था कि वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी लेकिन संकोचवश कुछ कह नहीं पा रही थी। शायद वो मुझे अच्छे से पहचानती भी थी।
उसने आख़िरकार मुझसे आ कर बोल ही दिया, "आप विजयनगर कॉलोनी में रहते हैं ना"
मैंने जवाब दिया,"हाँ मै वही रहता हूँ",
"मैंने आपको देखा है वहां", उस लड़की ने कहा, "आपका घर मंटू के किराने की दुकान के पास है।
मैंने हाँ में जवाब दिया और उससे पूछ लिया, "तुम्हे क्या कोई परेशानी है, बहुत देर से देख रहा हूँ कुछ परेशान लग रही हो।"
ये सुनते ही उसने तपाक से जवाब दिया, "आप ये जानते हुए भी कि मै बहुत परेशान हूँ, अकेली हूँ, फिर भी आपने मुझसे पूछना जरूरी नहीं समझा।
मैंने शालीनता से जवाब दिया, "देखो मै तुमसे या किसी भी लड़की से पहले उसकी परेशानी पूछ के उसे बेबस या लाचार महसूस नहीं कराना चाहता, क्योंकि तुममे वो क्षमता है कि तुम अपनीं परेशानी को खुद दूर कर सकती हो, तुम बेशक़ एक लड़की हो, अकेली भी हो लेकिन मेरी नजर में बेबस नहीं हो, अगर तुम्हे फिर भी लगता है कि तुम्हे किसी अन्य व्यक्ति के सहायता की आवश्यकता है, तुम स्वयं की सहायता कर पाने में असमर्थ हो तो बेझिझक कहो,मै तैयार हूँ तुम्हारी सहायता करने के लिये लेकिन एक बेबस और लाचार लड़की की तरह नहीं बल्कि एक आम इंसान की तरह।
उसने मुस्कुरा कर मुझे जवाब दिया,"आपका दिल से धन्यवाद आपने मेरी आधी सहायता तो कर ही दी, शेष मै खुद ही करना चाहूंगी।"
मेरी बस आ गयी और मैने उससे एक बार फिर पूछा "मे आई हेल्प यू", उसने मुस्कुराते हुए सिर्फ थैंक यू बोला। मै समझ गया और बस पर चढ़ गया।

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