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Showing posts from August, 2017

चाहत

तुम्हारी छुवन का एहसास मै चाहता हूँ, भीगीं लबों की प्यास मै चाहता हूँ, तुम्हारी ज़िस्म से गुज़र के तुम्हारे रूह की मिठास मै चाहता हूँ, तुम्हारी ये गहरी सांस मै चाहता हूँ, चाहत तो बहुत है, बस तुम्हारे करीब होने का एहसास मै चाहता हूँ।

देश के नौजवानों।

                       ◆देश के नौजवानों◆ हे! देश के समझदार नौजवानों ये जो कुछ नासमझ लोग सोशल मीडिया पर आग उगल रहे हैं आप उन्हें क्यों नहीं सिरे से ख़ारिज कर देते। आप धर्म का झंडा बुलंद करके इंसानियत को कहाँ रख रहे हो? जिसे आप धर्म कह रहे हो कहीं वो अधर्म तो नहीं? मुझे धर्म का ज्यादा ज्ञान नहीं लेकिन मुझे इतना पता है इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं क्योंकि बचपन से ही हमें यही सिखाया और पढ़ाया गया है। वो धर्म के ठेकेदार जो चाहते हैं आप से, आपमें से कुछ वही तो कर रहे हैं।आप लोकतंत्र के स्तम्भ बने ना कि गन्दी राजनीति के। मै देख रहा हूँ मेरे भी मित्रों में से कुछ को, लग रहा है उनका धर्म या क़ौम खतरे में है, और अपने धर्म को खतरे से बचाने के लिये कही से भी कोई भी अफ़वाह या गलत खबर को शेयर करने में पीछे नहीं हटते। "धर्म का पता नहीं लेकिन इंसानियत तो ज़रूर खतरे में है।" हम क्यों किसी की कही गयी बातों पर बिना सोचे समझे आँख बंद करके विश्वास कर लेते हैं बिना उस बात की सत्यता की परख किये बिना। नौजवानों से ही देश को उम्मीद है लेकिन जब नौजवान ही नहीं सोचेंगे हमारा भविष्य युद्ध निर्धारित

तमकुही राज- एक अनसुनी कहानी

◆तमकुही राज- एक अनसुनी कहानी◆ उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-28 के समीप स्थित है तमकुहीराज ( Tamkuhi Raj )। तमकुहीराज का अपना ही एक गौरवपूर्ण इतिहास है जिसे इतिहासकारों ने उतनी तवज्जों नहीं दी सिवाय कुछ स्थानीय इतिहासकारों के। आज भी तमकुहीराज के गौरवशाली इतिहास की गाथायें यहाँ के बुजुर्गों से सुनने को मिलती है। तमकुहीराज में एक खूबसूरत राज्य होने से पहले यहाँ घना जंगल हुआ करता था जिसे वीर राजा "फतेह शाही" ने बसाया था। राजा फतेह शाही ( Raja Fateh Sahi ) को 1767 में अंग्रेजों की "कंपनी सरकार" ने "कर" ना देने का विरोध करने पर वि द्रोही घोषित कर दिया। राजा साहब को जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त था जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने तमकुहीराज में राज्य की स्थापना की तथा इसका विस्तार भी किया। 23 वर्षों तक बग़ावत का झंडा बुलंद किये लड़ते रहने के बाद 1790 में फतेह शाही ने अपने पुत्र को तमकुही की गद्दी पर बिठाकर महाराष्ट्र सन्यास पर चले गये। 1836 में फतेह शाही की मृत्यु के बाद भी अंग्रेज़ो में उनका आतंक कम न हुआ। राजा फतेह शाही के बाद भी कई

आज़ाद दिव्यमान की आज़ाद सोच अपने देश के लिए।

आज़ाद दिव्यमान की आज़ाद सोच- जब हमारा देश आज़ाद हुआ था तब मेरा कोई अस्तित्व नहीं था लेकिन मेरे अस्तित्व का ना होना हमें आज़ादी के उस वक़्त के एहसास से अलग नहीं कर सकता। मैने जितना जाना जितना सुना उन सब पर विचार किया और मुझे ये एहसास हुआ कि उस वक़्त पुरे देश के लोगों का एक ही लक्ष्य और एक ही लड़ाई थी, अपने देश की अंग्रेजों से आज़ादी। हम आज़ाद भी हुए पुरे देश के महान क्रांतिकारियों के योगदान से। इस वक़्त भले ही हमारी अलग-अलग राय है, अलग-अलग विचारधारा है लेकिन हम एक हैं एक तिरंगे के नीचे। मुझे बस इतना कहना है "घर के कुछ लोगों के बुरे होने से हमारा घर बुरा नहीं हो सकता, घर तो घर है जो अच्छे और बुरे दोनों को आश्रय देता है,हम उस घर पर कभी ऊँगली नहीं उठा सकते जो हमें रहने का स्थान देता है।" आज हम हैं, हमारी पहचान है तो हमारे घर (देश) की वज़ह से। हमारा देश आज से हज़ारों वर्ष पहले भी महान था, आज भी महान है और कल भी महान रहेगा, देश की महानता कभी कम नहीं होने वाली। हमें देश से जुड़ी हर उन चीज़ों से आत्मविश्वास और गर्व की अनुभूति होती है जो इस देश की पहचान और शान हैं। हमारे लिए हमारा देश पहल

न थके हैं न रुके हैं।

कौन कहता है हम थक गये... कौन कहता है हम रुक गये... शायद तुमने इन कदमों को गौर से देखा ही नही... ना ही ये रुके है ना ही ये थके है... ये तो तैयारी कर रहे है "एक लम्बे सफर की"...                                                 ~ Divyaman Yati

हाँ, मै काला हूँ।

◆मै काला हूँ◆ हाँ मै काला हूँ, हाँ मेरी सूरत काली है। हाँ मुझे दिखने के लिए उजाले की ज़रूरत पड़ती है। मै काला हूँ मुझे इस बात में कोई शर्म नहीं बल्कि मुझे गर्व है अपने काले होने पर फिर क्यों कुछ लोगों को मेरा काला होना रास नहीं आता? मुझसे मोहब्बत नहीं कर सकते तो ना करो लेकिन मुझसे नफ़रत भी ना करो। ये क्यों भूल जाते हो तुम कि "ईश्वर ने जितना वक़्त उजाले को दिया है उतना ही वक़्त अँधेरे को भी दिया है।" जितना हक़ तुम्हारा है इस दुनिया पर उतना मेरा भी है, मुझे नहीं चाहिए किसी की मोहब्बत लेकिन ये नफ़रत भी तो ना दो मुझे। गोरी आँखों में काला काजर लगाने से चेहरे की शोभा बढ़ जाती है, कुछ को अपने गोरे बदन पर काली शर्ट कितनी अच्छी लगती है,  तुमको काली बिल्ली कितनी पसंद है, तुमको काले कुत्ते भी अच्छे लगते हैं, तुमको तुम्हारे काले मोटरसाइकिल या काली कार को देखना सुकूँ देता हो लेकिन काले इंसान को देख के तुम्हारा दिन ख़राब हो जाता है। हर चीज़ काली पसंद है सिवाय किसी काले इंसान के। ज़रा खुद के अंदर झाँक के देख लो, तुम खुद दोहरी सोच में जी रहे हो,देखो कहीं तुम्हारी उजली नज़र तुम्हे अँधा त

हरियाणा में छेड़खानी।

एक लड़की #हरियाणा में #छेड़खानी की शिकार हुई, छेड़ने वाले वो थे जिन्हें पता था, "मेरा कौन क्या कर लेगा सरकार मेरी है।" पुलिस ने आखिर मौके पर पकड़ लिया लेकिन कब तक रख पाती जमानत मिल ही गयी। भैया वो सरकार हैं वो कुछ भी कर सकते हैं। सोचिये वो लड़की एक आई. ए. एस. की बेटी थी अगर वो कोई आम लड़की होती तो उसका तो पता भी नहीं चलता। लड़के से पहले लड़की की ही जाँच शुरू हो गयी वो जाँच है लड़की के #आचरण की जो हर बार होती है। लड़की में कोई ना कोई कमी निकाल ही लेंगे कुछ लोग फिर बात आ जायेगी लड़की क्या कर रही थी और क्यों इतनी रात वहां थी। बात आगे बढ़ेगी मुद्दा बदल जायेगा। बात शुरू कहाँ से हुई थी बात कहाँ पहुँच जायेगी पता नहीं। "ये ऐसे लोग हैं जो निर्भया के की मौत पर मोमबत्तियां तो खूब जलाते हैं लेकिन दूसरों की आचरण की पहचान बड़ी बारीकी से करते हैं।" अभी तो राजनीति चल रही है बीजेपी-कांग्रेस वाली, जिसकी हमें आदत सी हो गयी है। बस सवाल एक ही है अगर वो कोई आम लड़की होती तो उसका क्या हश्र होता, क्या वो इस लायक बचती को वो अपनी आवाज बुलंदी से उठा सके। ये राजनीति का मुद्दा होगा बहुतों के लिये

लौट आओ गौरैया।

 ●लौट आओ गौरैया● हम नादान थे या वो परिन्दे, जिस दिन हमने उन परिन्दों के आशियाने को उजाड़ा था, वो परिन्दे भी इस बात को दिल से लगा बैठे, छोड़ गये घर हमारे, जैसे लगा खुशियों की रंगत ही उड़ गयी हमारे घरों से, अब तो लौटने की दुआ भी नहीं कर सकते, क्यूंकि उनके स्वाभिमान को ठेस जो लगी थी। फिर भी संभव हो तो हमें माफ़ कर देना, और हमारी पुकार सुन लेना, हम सब तुमसे कहना चाहते हैं "लौट आओ गौरैया"