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सही, ग़लत और हम।

आज वक़्त ऐसा आ गया है जब हमें कुछ बातें समझने की ज़रूरत है, वो बातें हमें ख़ुद ही समझनी होंगी।
क्यूंकि आजकल आप किसे सही मानोगे? आज के अतिवादी युग में आपका अंतर्मन ही आपका सर्वश्रेष्ठ साथी और सलाहकार है।
आपको ख़ुद ही सही और गलत का फर्क समझना पड़ेगा।
और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है आप चाहें तो ये मुश्किल नहीं क्योंकि ईश्वर ने हमें परखने और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की है, तो हम क्यों दूसरों पर निर्भर रहें।
आज अगर आप ख़ुद को ख़ुद के ख्यालों से नहीं परखेंगे तो फिर बहुत कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
आजकल अतिवाद का दौर चला हुआ है सही और गलत के बीच भ्रांतियां फैलायी जा रही है, लेकिन हमें पता है हमें किस तरफ जाना है और ये तभी संभव है जब आप सही और गलत में फ़र्क करना सीख पाये।
अगर आपको ग़लत राह चुननी है तो फिर आपको सही का ज्ञान होना आवश्यक नहीं, लेकिन अगर आपको सही राह चुननी है तो आपको सही और ग़लत दोनों का ज्ञान होना आवश्यक है।
आजकल के दौर में राजनीतिक मुद्दे अत्यधिक हावी हैं,
सामाजिक मुद्दे कहीं पीछे छुपते जा रहे हैं।
हमें सामाजिक मुद्दों को राजनीतिक मुद्दों से अलग करके मुख्यधारा में लाना होगा।
समाज है तो ही सब कुछ है, अगर समाज ध्वस्त हो जाये तो फिर काहे का लोकतंत्र।
सामाजिक मुद्दें हैं तो ही राजनीति का आस्तित्व है।
ये हमें समझना होगा।
और हमें समाज में फ़ैल रही कुरीतियों को फैलने से रोकना होगा।
ग़लत सन्देशों को अच्छे संदेशों पर हावी नहीं होने देने का प्रयास करना होगा।
हम देशभक्ति की बातें तो खूब करतें हैं, इसलिये हमें उस देशभक्ति का सही मायने समझ कर अपने समाज को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते रहना होगा।
जहाँ देश की बात आये वहाँ कोई सवाल नहीं। ये देश हमारा है ये समाज भी हमारा है और हम इसके सच्चेे सेवक।
"महात्मा गाँधी जी" ने आज़ादी के बाद एक बात कही थी,"देश तो आज़ाद हो चुका है, पर हमसब का सच्चा भारतीय बनना अभी बाकी है"।
आज भी उनकी कही ये बात विचारणीय है।

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