ये कौन-सा तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग है जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के जनमत को स्वीकार करने का साहस नहीं दिखा पा रहा है। आखिर किस अकड़ में,आखिर कौन-सा परम ज्ञान है जो इनको ये यकीन नहीं दिला पा रहा है कि देश की आधे से अधिक आबादी ने ये बहुमत किसी सरकार को दिया है। संविधान में विश्वास का ढ़ोंग क्यों किया जा रहा है? क्यों बार-बार अपनी राजनैतिक लाभ के लिए संवैधानिक संस्थाओं की विश्वनीयता पर ऊँगली उठाई जा रही है? केवल आरोप मात्र से आप किस बुद्धिमत्ता का परिचय दे रहें हैं? आपका संविधान में विश्वास है तो संवैधानिक तरीके से अपनी वैचारिक और राजनैतिक लड़ाई लड़िये। आलोचना और विरोध की एक लक्ष्मणरेखा तय कीजिए जिससे इस समाज और इस देश को कोई क्षति ना हो। अगर आपको लगता है केरल में बीजेपी नहीं आई तो वही एक जगह सबसे बुद्धिजीवियों का है तो ये भी जान लीजिए एक वक़्त था जब बीजेपी कहीं थी ही नहीं, शायद कुछ वर्षों बाद हो सकता है बीजेपी भी ना रहे तब भी देश और जनता वही थी और वही रहेगी। आप अपनी बुद्धिमत्ता का ढ़ोंग उन्हीं के सामने करने में सफल हो पाए जो आपके विचारों से प्रभावित हैं लेकिन देश सिर्फ विचारधाराओं से नहीं चलेगा। जनता क्या चाहती है वो जानिए.. मुम्बई, दिल्ली, बैंगलोर या कोलकाता से हवाईजहाज से लैंडिंग कर उनपर बुद्धिजीवी का ठप्पा लगाकर चुनाव प्रचार कराने से आप राजनीति के मुख्यधारा में नहीं आ सकते, ना ही आप किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नफ़रत भरी बातें करके सत्ता में आ सकते हैं। अभी भी वक़्त है सभी विचारों की अपनी खूबी है तो अपनी खामियां भी है खूबियों को तराशें और खामियों पर काम करें। ये देश विभिन्न विचारधाराओं का संगम है यही इसकी खूबसूरती है लेकिन अपनी खामियों पर काम करने के बजाय आप अपने ही देश के लोगों को बेवकूफ और अनपढ़ करार देने लगेंगे तो आपसे बड़ा जाहिल पूरी दुनिया में कोई नहीं होगा। लोगों से जुड़िये, लोगों के लिए काम कीजिए, सस्ती लोकप्रियता से बचिए, आज के माहौल से सीखिये, देश और समाज के बेहतरी के लिए सबको जोड़िये, सिर्फ विचारधारा की लड़ाई लड़ेंगे तो हश्र यही होता रहेगा। भारत को भारत रहने दीजिये, अगर इसके साथ छेड़छाड़ करेंगे तो आपके खुद का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा क्योंकि भारत एक देश ही नहीं ये एक सोच है। बाकी बुरा लगता है कुछ लोगों की जाहिलियत को देखकर जो खुद के मनमुताबिक परिणाम न पाकर खुद की कमियों को ढूंढने के बजाय इस परिणाम के लिए दूसरे को दोषी बता देते हैं। अगर यही करते रहें तो यकीन मानिये आप ऐसे ही मुख्यधारा से किनारे ही होते रहेंगे।
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Absolutly
ReplyDelete👍👍👌👌👌👌
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ReplyDeleteRight
ReplyDeleteYeah absolutely right .
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