पुराने वर्ष में बहुत सी बातें हुई, बहुत अच्छे-अच्छे लोगों से मुलाकातें भी हुई। जिन्हें दूर से जानता-समझता था उनके करीब आकर उन्हें जानने-समझने का मौका मिला.. कुल मिलाकर वर्ष 2018 मेरे लिए खास इसलिए रहा क्योंकि इस वर्ष मैंने हर चीज़ का थोड़ा-थोड़ा स्वाद लिया, थोड़ी खुशियां, थोड़ा ग़म, थोड़ा साहस, थोड़ा डर।
बहुत सारे दोस्त मिले, इनमें से कुछ बहुत अच्छे दोस्त बने। दिल्ली आने की ख्वाहिश थी और दिल्ली के करीब आ भी गया। कभी-कभार दिल्ली आना-जाना भी लगा रहता है। दिल्ली के दिल में जगह बनाने की पुरजोर कोशिश चल रही है और भरोसा है ये कोशिश जल्द ही कामयाब होगी।
इस वर्ष की हर बात खास रही, शुरुआत तो बड़ी नीरस हुई थी,एक निराश-हताश डरे हुए दिव्यमान के साथ जिसमें आत्मविश्वास नाम की कोई चीज़ ही नहीं थी। जो हालातों से डर रहा था। जो दुनिया से भाग रहा था, अपने परिवार-रिश्तेदार से भाग रहा था। बचपन के दोस्तों के साथ चाह कर भी अपने दिल की बात नहीं कह पा रहा था। लेकिन वक़्त ने करवट ली और उसे 3 साल के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। जो लड़का आजतक कोई एंट्रेन्स एग्जाम पास नहीं कर पाया उसे अचानक से आईआईएमसी और एमसीयू जैसे बड़े पत्रकारिता संस्थानों में दाखिला लेने का मौका मिला। जो लड़का आजतक अपने क्लास का मॉनिटर नहीं बन पाया था वो आते ही कॉलेज के मिस्टर फ्रेशर का उपविजेता बन गया। जिसकी अपने दोस्तों तक के बीच कुछ बोलने में घिघ्घी बन जाती थी उसने पूरे कॉलेज को संबोधित कर दिया। शायद ये सन्देश था कि अब एक नया दौर शुरू होने वाला है, अब सब्र का फल पेड़ सहित मिलने वाला है। दिल्ली ना सही नोएडा ही सही लेकिन पहुँच गया। यहाँ आने के बाद सब कुछ नया सब कुछ अजीब था लेकिन मैंने वक़्त को थोड़ा वक़्त दिया, और वक़्त ने मुझे यहाँ घुलना-मिलना सीखा दिया। बेशक़ ये वर्ष मुझे बहुत कुछ देकर चला गया लेकिन उसने इस नए वर्ष को ये ज़िम्मेदारी दे दी है कि तुम इस लड़के को मुझसे अधिक और सर्वश्रेष्ठ देना।
एक का साथ छूटते ही दूसरा बाहें खोले स्वागत कर रहा है। अब 2018 की यादों को दिल डायरी में लिख कर 2019 के साथ मिल कर कुछ नए अनुभव और नयी यादों को इकठ्ठा करने में लग गया हूँ।
एक का साथ छूटते ही दूसरा बाहें खोले स्वागत कर रहा है। अब 2018 की यादों को दिल डायरी में लिख कर 2019 के साथ मिल कर कुछ नए अनुभव और नयी यादों को इकठ्ठा करने में लग गया हूँ।
"जिसे ढूंढ़ रहा था पिछले कई रोज से
उससे आज ढ़ेर सारी बातें करता हूँ।"
उससे आज ढ़ेर सारी बातें करता हूँ।"
Wah..sir aapki likhwat jabarjast Hoti hai..
ReplyDeleteBahut-bahut dhanyawad
DeleteBadhiya likhe ho bhai...
ReplyDeleteDhanyawad😃
Deleteशानदार
ReplyDeleteधन्यवाद❤
ReplyDeleteBadhiya☺☺☺☺☺
ReplyDeleteDhanyawad😊
DeleteGood...keep it up
ReplyDeleteThank you😊
DeleteBadhiya
ReplyDeleteDhanyawad
Delete