◆आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं◆
आओ! होली इसबार साथ मनाते हैं,
एक-दूसरे को गुलाल लगा कर,
नफ़रत की होली खेलने वालों को
मोहब्बत की होली सिखाते हैं..,
आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं,
पुरे देश को लाल, हरा, पीला,
केसरिया हर रंग में रंगवाते हैं।
इन रंगों वाले मज़हब को रंगों में मिलाते हैं,
गले मिल, गुलाल लगा कर गिले-शिकवे मिटाते हैं
आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं।
एक ही सुर,लय, ताल में फागुन के गीत गाते हैं,
कुछ तुम हमें, कुछ हम तुम्हें इन रंगों का मतलब बताते हैं,
होली की दिलचस्प कहानियाँ बुजुर्गों के पिटारों से निकलवाते हैं।
आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं।
#दिव्यहोली
आओ! होली इसबार साथ मनाते हैं,
एक-दूसरे को गुलाल लगा कर,
नफ़रत की होली खेलने वालों को
मोहब्बत की होली सिखाते हैं..,
आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं,
पुरे देश को लाल, हरा, पीला,
केसरिया हर रंग में रंगवाते हैं।
इन रंगों वाले मज़हब को रंगों में मिलाते हैं,
गले मिल, गुलाल लगा कर गिले-शिकवे मिटाते हैं
आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं।
एक ही सुर,लय, ताल में फागुन के गीत गाते हैं,
कुछ तुम हमें, कुछ हम तुम्हें इन रंगों का मतलब बताते हैं,
होली की दिलचस्प कहानियाँ बुजुर्गों के पिटारों से निकलवाते हैं।
आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं।
#दिव्यहोली
Tremendous and commendable poetry dude👍👍👍
ReplyDeleteThank you much brother ❤❤❤
DeleteYour heartily welcome
ReplyDeletebahut pyara😘👌
ReplyDeleteBhut Khoob....👌👏👏
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