Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2017

शुक्रिया तेरा।

मेरे हाथों में कलम देने वाले तेरा शुक्रिया, आज कूड़ा-कचरा उठा रहा हूँ, कल इसी कलम से सोये हुये इंसानों को जगाऊंगा। मेरी तक़दीर का अंदाज़ा नही मुझे, बस मै इसी कदर लिखता ही चला जाऊँगा। एक उम्मीद तो मैंने भी पाल रखी है, छोटी ही सही, मुझे मेरा ख़ुदा भी दिखता मुझमें ही कही। तूने कल मुझे झाड़ू दी उसका भी शुक्रिया, आज मुझे कॉपी और कलम दे रहा है उसका भी क्रिया। pic by Sandeep gupta

खुद से जंग।

क्या ये जंग मै जीत पाउँगा, यहाँ तो दुश्मन भी मै ही हूँ, क्या ख़ुद से मै लड़ पाउँगा, क्या ये जंग मै जीत पाउँगा।                      -दिव्यमान यती

ख़्यालों की जमीं।

हमें भी जहाँ बनाने की चाहत है, इस जहाँ को तो उसने (ईश्वर) बनाया, यहाँ बनाना मुश्किल है। इसलिये मैंने भी चुन लिया ख़्यालों की जमीं को, अपना जहाँ बनाने को।

शांति की खोज।

मन मेरा अशांत है, दिमाग अब हदें पार कर रहा है। कभी कभी खुद को बेबस महसूस करता हूँ। क्यों? ऐसा क्यों होता है? मै हर चीज़, हर इंसान, हर घटना से प्रभावित हो जाता हूँ? मुझे पता है मेरी कमजोरी पर फिर भी कुछ कर नहीं पा रहा। मै डरता हूँ, खुद से लड़ता हूँ। फिर अगली सुबह खुद से बातें करता हूँ। फिर किसी बात से डर जाता हूँ,आखिर में ना चाहते हुये भी खुद से लड़ ही जाता हूँ। किसी रोज निखर जाता हूँ, फिर उसकी अगली सुबह बिखर जाता हूँ।

राजनीति तमकुही राज की।

चुनाव खत्म हुआ, मुद्दे भी खत्म हो गये और अब परिणाम का इंतज़ार है। सभी प्रत्याशियों ने जमकर मेहनत की, बस अब उनकी ख़्वाहिश होगी परिणाम अच्छा आ जाये। जैसे विद्यालय की परीक्षा के वक़्त होता है, परीक्षा के पहले खूब तैयारी की जाती है, परीक्षा भी होती है, फिर परिणाम का इंतज़ार होता है। 11 मार्च के बाद परिणाम जो भी आये, कोई भी प्रत्याशी विजयी हो, चिंतामुक्त तो सभी प्रत्याशी हो जायेंगे। जो जीतता है वो भी और जो नहीं जीत पता है वो भी दोनों की सोच में समानतायें होती है, "चलो भईया बड़ी मेहनत हो गयी अब परिणाम भी आ गया अब 3 वर्ष आराम किया जायेगा, उसके बाद देखा जायेगा, कोई योजना बनाई जायेगी आगे क्या करना है"। सोच में समानतायें बेशक़ मिलेंगी आपको। अब बात तमकुही राज की, और मै तमकुही राज की बात क्यों कर रहा हूँ जबकि अधिकतर जगहों की यही कहानी है, क्यूंकि मै यहाँ से वाक़िफ़ हूँ। यहाँ की राजनीति में विकास का मुद्दा सबसे अंत में आता है। यहाँ के मतदाता भी बहुत हद तक प्रत्याशियों की मदद् कर देतें हैं विकास के मुद्दे का त्याग करके। यहाँ एक सड़क है जो राष्ट्रीय राजमार्ग-28 से जुड़ी हुयी है, तमकुही राज

मेरी एकतरफा मोहब्बत समुन्दर के साथ।

कल तक इन समुन्दर की लहरों की कहानियों से कितना कुछ सीखा करते थे, आज वो समुन्दर ही मेरे सामने है, सुना है ये समुन्दर भी कुछ कहता है। चलो मुद्दतों बाद मुलाक़ात हुयी है, आज थोड़ी गुफ़्तगू हो जाये। ऐ समुन्दर आज मुझे पता चला तू कितना हसीन है। तुझसे कोई मोहब्बत करने की ख़ता कैसे न करे। बेशक़ तुझसे कितनों ने मोहब्बत की होगी, लेकिन मेरी मोहब्बत में कुछ तो ख़ास होगा, मेरी नज़र में ये सबसे हसीन मोहब्बत है कोई माने या ना माने। #mylovewithocean