चुनाव खत्म हुआ, मुद्दे भी खत्म हो गये और अब परिणाम का इंतज़ार है। सभी प्रत्याशियों ने जमकर मेहनत की, बस अब उनकी ख़्वाहिश होगी परिणाम अच्छा आ जाये। जैसे विद्यालय की परीक्षा के वक़्त होता है, परीक्षा के पहले खूब तैयारी की जाती है, परीक्षा भी होती है, फिर परिणाम का इंतज़ार होता है। 11 मार्च के बाद परिणाम जो भी आये, कोई भी प्रत्याशी विजयी हो, चिंतामुक्त तो सभी प्रत्याशी हो जायेंगे। जो जीतता है वो भी और जो नहीं जीत पता है वो भी दोनों की सोच में समानतायें होती है, "चलो भईया बड़ी मेहनत हो गयी अब परिणाम भी आ गया अब 3 वर्ष आराम किया जायेगा, उसके बाद देखा जायेगा, कोई योजना बनाई जायेगी आगे क्या करना है"। सोच में समानतायें बेशक़ मिलेंगी आपको। अब बात तमकुही राज की, और मै तमकुही राज की बात क्यों कर रहा हूँ जबकि अधिकतर जगहों की यही कहानी है, क्यूंकि मै यहाँ से वाक़िफ़ हूँ। यहाँ की राजनीति में विकास का मुद्दा सबसे अंत में आता है। यहाँ के मतदाता भी बहुत हद तक प्रत्याशियों की मदद् कर देतें हैं विकास के मुद्दे का त्याग करके। यहाँ एक सड़क है जो राष्ट्रीय राजमार्ग-28 से जुड़ी हुयी है, तमकुही राज ...