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Showing posts from January, 2017

अमृतधारा

जिसे ज़हर विरासत में मिली, जिसने जहर की खेती की, जिसने ज़हर का कारोबार पूरी शिद्दत से की, उस शख्स से अमृत के एक बूँद की उम्मीद थोड़ी बेईमानी सी लगती है। आपको ये पता होगा जब अमृत की धारा बहती है तब ज़हर बस इंतज़ार में रहता है, उसे कब मौका मिले अमृत में घुल जाने का। पर ज़हर को अमृत की ख़ूबी का अंदाजा नहीं अमृत की एक बूँद ज़हर के असर को ख़त्म कर सकती है। "तुम ज़हर की कितनी भी खेती कर लो, अमृत रूपी बारिश जब होगी तुम्हारे सारे ज़हर को अमृत में मिल के नष्ट हो जाना है।" #अमृतधारा #beingrealhuman

मेरा वक़्त।

ये वो वक़्त है जब मैंने एक छोटी सी पहल की है, खुद को समझने की शायद इस उम्मीद के साथ की मै ये गुत्थी सुलझाने मे सफल हो जाऊ, मै सोचता क्या हूँ ये समझ पाऊ। मै रुका हुआ क्यूँ हूँ जबकि वक़्त इतनी तेज़ी से आगे निकल रहा है। उम्मीद तो यही है कि मेरा वक़्त आने वाला हो। क्योंकि उम्मीद ही तो है जो इस ज़िन्दगी को जीने का साहस देता है। उम्मीद बनाये रखो।
#Shameonbengaluruincident.. मै कई दिनों से सोच रहा था, अब कुछ कहुँ, कहुँ या न कहुँ। क्या मेरे कुछ कहने से कुछ होने वाला है? फिर सोचा चुप रह के तमाशा देखने से भी तो कुछ होने वाला नहीं है सिवाय आत्मग्लानि के। बात नए साल की पहली रात की है मैंने ज्यादा कुछ पड़ताल नहीं किया, क्योंकी बात तो वही होनी थी। सबने कुछ न कुछ कहा जैसा की हर बार होता है, मै भी बोल ही रहा हूँ हर बार की तरह। महिला सशक्तिकरण की बातें तो खूब होती हैं, किसी से डिबेट करा लो 3-3 घंटे कर लेंगें, निष्कर्ष वही होता है क्योंकि आज वक़्त की नज़ाकत है थोड़ी परमार्थ की बात कर लेते हैं, कल तो फिर से वही कहानी शुरू होनी ही है। #निर्भया को तो भूल ही गये, कितनी मोमबत्तियां जलायी थी इस देश के लोगों ने, शायद वक़्त की तेज़ हवाओं ने सब बुझा दिया। पता नहीं मेरी बातें किसी को समझ आ रही होंगी या नहीं अगर आ रही होंगी तो आपका शुक्रिया। जो भी #बेंगलुरु में हुआ, वो हर दिन होता है इस देश में। क्या हम जागते हैं? नया साल नया संकल्प का नारा लिये नए साल में आते हैं, अरे भाई कौन सा नारा ले कर आये हो। क्यों समाज में जहर घोल रहे हो, क्यों देश की इ

मेरे बच्चे हो तुम।

कौन हो तुम? बेटे हो। कौन हो तुम? भाई हो। जो भी हो तुम सच्चे हो, मेरे लिये तुम बच्चे हो। सूरज सा हो प्रताप तुम्हारा, तुमसे एक दिन हो जगत उजियारा। राहों में कभी गिर जाओगे, मुझे करीब हर वक़्त पाओगे। इस जीवन में सम्मान सा हो तुम, मेरे लिये मेरा अभिमान सा हो तुम। बेशक़ अभी तुम कच्चे हो, जैसे भी हो तुम सच्चे हो, आखिर मेरे तुम बच्चे हो।           @दिव्यमान यती@

नया साल भोजपुरी अंदाज़ में।

अंधियारी रतिया में का खूब महफ़िल सजल रहे, दिव्यमान दीवाना भंडारी, आयुश मस्ताना बनल रहे। अतुल कुमार के जलवा रहे, अमित के प्रताप दिखल रहे। विशाल पौडेल के साथ में, विशाल भंडारा सजल रहे। फ़ीरोज़ खान, अश्विन, अमन के भरपूर सहयोग मिलल रहे। नया साल के एहसे बेहतर शुरुवात कबो न मिलल रहे।