Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2019

Kesari Movie Review : 36 सिख बटालियन के 21 सिखों की बेहतरीन शौर्य गाथा

कलाकार-  अक्षय कुमार, परिणीति चोपड़ा, राकेश चतुर्वेदी, विक्रम कोचर, इत्यादि लेखक- गिरीश कोहली निर्देशक- अनुराग सिंह रेटिंग-⭐⭐⭐⭐ Kesari Movie Review : इतिहास में कई ऐसी महान घटनाएं हैं जिनके बारे में आम लोगों को बहुत कम या ना के बराबर जानकारी होती है। सिनेमा ऐसा साधन है जिसकी पहुँच आम इंसान तक है और सिनेमा अपने माध्यम से लोगों के बीच ऐसी कहानियां मनोरंजक तरीके से हमेशा से पहुंचाता रहा है। अक्षय कुमार की फिल्म केसरी भी इतिहास की एक ऐसी ही महान गाथा का सिनेमाई संस्करण है। एक ऐसी गाथा जिसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया था। फिल्म की कहानी शुरू होती है हवलदार ईशर सिंह (अक्षय कुमार) और उनके साथी गुलाब सिंह (विक्रम कोचर) के हंसी-ठिठोलों से। दोनों ही अफगानिस्तान और भारत की सीमा पर स्थित गुलिस्तान के किले में तैनात रहते हैं जहाँ अफगानों की नज़र रहती है। एक दिन सीमा पर एक मौलवी (राकेश चतुर्वेदी) के साथ भारी संख्या में अफगानी, एक औरत को उसके पति की खिलाफत करने के जुर्म में उसका गला काटने की कोशिश करते हैं। जिसे ईशर सिंह बर्दाश्त नहीं कर पाता है और अंग्रेज अफसरों के मना करने के बावजूद उस

।। तुम्हें बुखार है।।

|| तुम्हें बुखार है || शरीर का एक-एक हिस्सा दर्द से जूझ रहा है, वातावरण ठंडा तो शरीर गरम प्रतीत हो रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे सर पर एक भारी गठरी किसी ने मेरी इजाज़त के बगैर रख दी है। आँखों की चुभन खट्टे-मीठे एहसास दिला रही है। कानों में अजीब सी खामोश आवाजें दस्तक दे रही हैं। नाक निरंतर हो रहे जल प्रवाह का गवाह बना हुआ है। सूखे होंठ कपकपा रहे हैं मानों ये होंठ बिना किसी कसूर के सजा भुगत रहे हों। स्वर भारी हो चले हैं जैसे गज़ल गाने की तैयारी कर रहे हों। मन में असंख्य सवाल समंदर की लहरों की भांति हलचल मचा रहे हैं।  इस व्यथा को सुन कर सब एक ही बात बार-बार बोल रहे हैं,"तुम्हे बुखार है।" PC- Google

May I help you? ( मे आई हेल्प यू?)

Womans_day_special  Short story (लघुकथा)👇 ●May i help you (मे आई हेल्प यू) बस स्टॉप पर खड़े हुए बहुत समय हो गया था, वहां बहुत से लोग बस का इंतज़ार कर रहे थे, मै भी उन लोगों में से एक था जिसे बस का बेसब्री से इंतजार था। मैंने देखा मुझसे कुछ दूर पर खड़ी एक लड़की जो थोड़ी जानी-पहचानी सी लग रही थी, बहुत वक़्त से कुछ बेचैन सी थी, शायद उसे कोई परेशानी थी। मुझे बार-बार ये एहसास हो रहा था कि वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी लेकिन संकोचवश कुछ कह नहीं पा रही थी। शायद वो मुझे अच्छे से पहचानती भी थी। उसने आख़िरकार मुझसे आ कर बोल ही दिया, "आप विजयनगर कॉलोनी में रहते हैं ना" मैंने जवाब दिया,"हाँ मै वही रहता हूँ", "मैंने आपको देखा है वहां", उस लड़की ने कहा, "आपका घर मंटू के किराने की दुकान के पास है। मैंने हाँ में जवाब दिया और उससे पूछ लिया, "तुम्हे क्या कोई परेशानी है, बहुत देर से देख रहा हूँ कुछ परेशान लग रही हो।" ये सुनते ही उसने तपाक से जवाब दिया, "आप ये जानते हुए भी कि मै बहुत परेशान हूँ, अकेली हूँ, फिर भी आपने मुझसे पूछना जरूरी नहीं समझा।