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Showing posts from June, 2017

वो अधूरी रात

                      ◆वो अधूरी रात◆ मुझे आज भी उस अधूरी रात का एहसास सिर्फ अफ़सोस दिलाता है, तेरा मेरे इतने करीब हो कर भी तुझमे ना खो पाने का एहसास अफ़सोस दिलाता है। लेकिन मुझे सिर्फ अफ़सोस नहीं मुझे एक सुकूँ भी है, वो सुकूँ तेरा मेरे करीब होने का है। तेरे साथ बिताये वो हसीन पल अभी भी मेरे ज़ेहन में हैं। और मुझे ये यकीन है ये हसीन पलों की शुरुआत है और तेरे मेरे करीब आने का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा। क्या था तेरे दिल में वो मुझे खबर तो थी ही, क्या था मेरे दिल में शायद तुझे भी खबर थी। लेकिन खबर होते हुए भी हम बेखबर थे। मुझे नहीं पता ख़ुदा हो क्या मंजूर है लेकिन आज भी मेरा दिल हर वक़्त तुझे अपनेे करीब चाहता है, उम्मीद है तुम्हारी भी यही चाहत होगी। जब चाहत को इतनी चाहत है तो क्यों ना इस चाहत की चाहत को पूरी की जाये फिर उस अधूरी रात को पूरी करके।                  -Written by Divyaman Yati

तरस कुछ नासमझों पर।

भारत में रहने वाले कुछ नासमझ लोग जो पाकिस्तान ज़िंदाबाद या पाकिस्तान की जीत की ख़ुशी में आतिशबाजी करते हैं उन पर सिर्फ तरस आता है। ये लोग पाकिस्तान जाने की हिम्मत नहीं दिखा पाते क्योंकि उनकों वहाँ सिर्फ इसी शर्त बुलाया जायेगा कि तुम आतंकवादी बनों, नागरिकता तो मिलेगी नहीं। इनकी यहाँ जो इज़्ज़त रहती है वो इनके कुकर्मों से इनके ही क़ौम के लोग इन्हें नकार देते हैं। इनके लिए सिर्फ एक बात याद आती है। ये लोग " ना घर के हैं ना ही घाट के" हे ऊपरवाले! सद्बुद्धि दे इन ढक्कनों को। वैसे हम (भारतीय) तो "भारत माता की जय" में ही विश्वास रखते हैं।🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #दिव्यमान_की_सोच