फिर छिड़ चुकी है बहस देशहित की, पता नहीं बहस का प्रवाह किधर जा रहा है, लेकिन देश पूछ रहा है, आखिर ये हो क्या रहा है? जिस देश की पहचान ही एकता है, उस देश के लिये ही बिखराव दिख रहा है। ये देश पूछ रहा है, आखिर ये क्या हो रहा है? क्या भगत सिंह, चंद्रशेखर और गांधीजी ने सपना यही देखा होगा? इस देश में फिर देशप्रेम के जज्बातों में ठहराव दिख रहा है, आज सच में एक बार फिर देश पूछ रहा है। आखिर ये हो क्या रहा है। हमें नहीं पता कौन क्या कहता है, लेकिन हमारा दिल बचपन से ही सिर्फ जय हिन्द ही कह रहा है, ये देश आज फिर क्यों पूछ रहा है, आखिर ये क्या हो रहा है? क्या कोई सुन रहा है, #Divyamanyati रो रहा है, क्या आपको भी कुछ हो रहा है।
अभी नया हूँ, पुराना तो होने दो, दौर मेरा भी आएगा, दीवाना तो होने दो।