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Showing posts from February, 2017

देश पूछ रहा है आख़िर ये क्या हो रहा है।

फिर छिड़ चुकी है बहस देशहित की, पता नहीं बहस का प्रवाह किधर जा रहा है, लेकिन देश पूछ रहा है, आखिर ये हो क्या रहा है? जिस देश की पहचान ही एकता है, उस देश के लिये ही बिखराव दिख रहा है। ये देश पूछ रहा है, आखिर ये क्या हो रहा है? क्या भगत सिंह, चंद्रशेखर और गांधीजी ने  सपना यही देखा होगा? इस देश में फिर देशप्रेम के जज्बातों में ठहराव दिख रहा है, आज सच में एक बार फिर देश पूछ रहा है। आखिर ये हो क्या रहा है। हमें नहीं पता कौन क्या कहता है, लेकिन हमारा दिल बचपन से ही सिर्फ जय हिन्द ही कह रहा है, ये देश आज फिर क्यों पूछ रहा है, आखिर ये क्या हो रहा है? क्या कोई सुन रहा है, #Divyamanyati रो रहा है, क्या आपको भी कुछ हो रहा है।

सही, ग़लत और हम।

आज वक़्त ऐसा आ गया है जब हमें कुछ बातें समझने की ज़रूरत है, वो बातें हमें ख़ुद ही समझनी होंगी। क्यूंकि आजकल आप किसे सही मानोगे? आज के अतिवादी युग में आपका अंतर्मन ही आपका सर्वश्रेष्ठ साथी और सलाहकार है। आपको ख़ुद ही सही और गलत का फर्क समझना पड़ेगा। और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है आप चाहें तो ये मुश्किल नहीं क्योंकि ईश्वर ने हमें परखने और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान की है, तो हम क्यों दूसरों पर निर्भर रहें। आज अगर आप ख़ुद को ख़ुद के ख्यालों से नहीं परखेंगे तो फिर बहुत कठिनाइयाँ आ सकती हैं। आजकल अतिवाद का दौर चला हुआ है सही और गलत के बीच भ्रांतियां फैलायी जा रही है, लेकिन हमें पता है हमें किस तरफ जाना है और ये तभी संभव है जब आप सही और गलत में फ़र्क करना सीख पाये। अगर आपको ग़लत राह चुननी है तो फिर आपको सही का ज्ञान होना आवश्यक नहीं, लेकिन अगर आपको सही राह चुननी है तो आपको सही और ग़लत दोनों का ज्ञान होना आवश्यक है। आजकल के दौर में राजनीतिक मुद्दे अत्यधिक हावी हैं, सामाजिक मुद्दे कहीं पीछे छुपते जा रहे हैं। हमें सामाजिक मुद्दों को राजनीतिक मुद्दों से अलग करके मुख्यधारा में लाना होगा। समाज

मेरी उदासी-(एक प्रेरणा)

मै इतना बेईमान कैसे हो सकता हूँ, मैने अपनी उदासी से वादा किया था कि मै उसे खुद से दूर जाने नहीं दूँगा, थोड़ा ही सही उसे भी वक़्त दूँगा। क्योंकि जब ख़ुशी मेरे पास ना थी, तब ये उदासी ही तो थी जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया, जिन्दगी में आगे बढ़ने का रास्ता मुझे दिखाया। फिर मै अपनी उदासी से दूर जाने की सोच भी कैसे सकता हूँ। मेरी उदासी से मैंने एक बात सीखी कि जैसे हम ख़ुशी का आनंद लेते हैं, ठीक वैसे ही हमें अपनी उदासी का भी आनंद लेना चाहिये। और मै अब अपनी उदासी का आनंद लेता हूँ। क्यूँकि कभी कभी ख़ुशी इतरा कर पूछती है कि तू हर वक़्त मेरे साथ क्यों रहता है, तब ख़ुशी को ये एहसास दिलाना जरुरी होता है इस दुनिया में तेरे सिवा भी कोई है जो जीने की राह दिखाता है और जब आप उदासी के साथ आनंद से कुछ पल बिताते हो तो ख़ुशी खुद-ब-खुद आपके आस पास मँडराने लगती है। और उदासी की यही खासियत होती है कि वो आपको ख़ुशी के पास जाने से कभी नहीं रोकती। उदासी कभी ये नहीं कहती तुम अपने हौंसले को तोड़ दो, अगर तुमने अपनी उदासी को ठीक से समझा तो वो ये कहती है, मै तो इसीलिए तेरे पास आयी हूँ कि मै तेरे हौसले को और मजबूत कर सकूँ।

दो शब्द मेरे दोस्तों के नाम।

लिख सकता तो पूरी किताब लिख देता, अभी तो शब्दों से ही काम चला लो मेरे यारों। फिर भी कुछ बात है हमारी यारी में, तभी तो कभी जाती ही नही यारों की ख़ुमारी। दो पल भी मिलते हैं तो ख़ुशी से काट लेते हैं, एक बिस्कुट को भी चार हिस्से में बाट लेते हैं। #dedicated #for #all #true #friends                  -Divyaman yati