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Showing posts from June, 2018

।।बंगाल से लावारिस लाश।।

नमस्कार! मै बंगाल से लावारिस लाश बोल रही हूँ.. मेरी कफ़न भी उसी रंग की है जिस रंग की यूपी, बिहार, दिल्ली,पंजाब,महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों की लाशों की होती हैं। "जस्टिस फॉर बंगाली लाश" क्यों नहीं? मेरे लिए सच्ची छोड़ो वो झूठी राजनीतिक हमदर्दी क्यों नहीं? सुना है आप लोकतंत्र और संविधान के रक्षक हैं, क्या मेरी मौत संविधान के दायरे में नहीं आती क्या? क्या मेरी मौत संविधान ज़ायज ठहराता है? क्या मेरे घर में लगी आग की तपिश दिल्ली तक नहीं पहुँच पाती? अगर है तो मेरी चीख,मेरी तड़प क्यों नहीं सुनाई देती? क्यों मेरी मौत पर शोर नहीं होता? क्यों मेरी लटकी लाश के सच को झुठलाया जाता है? मुझे भी भीड़ ही मारती है फिर क्यों इस मौत की भर्त्सना कोई नहीं करते? क्यों फिर तुम्हे देश में असहिष्णुता नहीं दिखती? तुम मेरी क़ब्र पर अपना सुंदर आलीशान साम्राज्य स्थापित कर राजनीति-राजनीति क्यों खेलते हो? क्यों, आखिर क्यों? आपसे निवेदन है कि अगर इन सवालों का जवाब मिले तो मेरी मौत के साथ बिखर चुके मेरे परिवार को अवश्य दे देना।                                  ~ दिव्यमान यती

बम ब्लास्ट विशेष~।। जाने कहाँ गए वो दिन।।

।। जानें कहाँ गए वो दिन।।   (बम ब्लास्ट विशेष) पहले आये दिनों नए-नए शहरों में बम ब्लास्ट हुआ करते थे, इससे नए-नए शहरों के बारे में सुनने को मिलता था, नए-नए आतंकवादियों के नाम और उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियां सुनने को मिलती थी, कब, कहाँ, कितने जगहों पर कौन-कौन से बम फोड़े गए और उन बम में कौन-कौन सी सामग्री उपयोग में लायी गयी उसकी जानकारियां मिलती थी। जनसंख्या में कुछ हद तक नियंत्रित भी होती थी। लोगों के घरों में रिश्तेदारों का आवागमन भी होता रहता था मातम वाले उत्सव के कारण। लोग घरों से निकलते थे तो मन रोमांचित रहता था कि कब और कहाँ बम फूटे और एक रोमांचकारी मौत आ जाये। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मॉल और पार्क इत्यादि जगहों पर हाथ में बैग लिए खड़े व्यक्ति पर संदेह करते हुए खुफिया अफसर वाले एहसास आते थे। आज इन सारे रोमांच और सामान्य ज्ञान से हम वंचित हैं क्यों? क्योंकि सेना ने आतंकवादियों को सीमा पर रोक रखा है जिनकी दिलचस्प कहानियां उधर ही किसी कोने में दफ़्न हो जाती हैं, सुरक्षा एजेंसी ने सारे नेटवर्क ध्वस्त कर दिए हैं, वो बैग वाले किरदार दिखाए तो देते हैं लेकिन उनपर अब संदेह नहीं हो पाता कि