नमस्कार! मै बंगाल से लावारिस लाश बोल रही हूँ.. मेरी कफ़न भी उसी रंग की है जिस रंग की यूपी, बिहार, दिल्ली,पंजाब,महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों की लाशों की होती हैं। "जस्टिस फॉर बंगाली लाश" क्यों नहीं? मेरे लिए सच्ची छोड़ो वो झूठी राजनीतिक हमदर्दी क्यों नहीं? सुना है आप लोकतंत्र और संविधान के रक्षक हैं, क्या मेरी मौत संविधान के दायरे में नहीं आती क्या? क्या मेरी मौत संविधान ज़ायज ठहराता है? क्या मेरे घर में लगी आग की तपिश दिल्ली तक नहीं पहुँच पाती? अगर है तो मेरी चीख,मेरी तड़प क्यों नहीं सुनाई देती? क्यों मेरी मौत पर शोर नहीं होता? क्यों मेरी लटकी लाश के सच को झुठलाया जाता है? मुझे भी भीड़ ही मारती है फिर क्यों इस मौत की भर्त्सना कोई नहीं करते? क्यों फिर तुम्हे देश में असहिष्णुता नहीं दिखती? तुम मेरी क़ब्र पर अपना सुंदर आलीशान साम्राज्य स्थापित कर राजनीति-राजनीति क्यों खेलते हो? क्यों, आखिर क्यों? आपसे निवेदन है कि अगर इन सवालों का जवाब मिले तो मेरी मौत के साथ बिखर चुके मेरे परिवार को अवश्य दे देना। ...
अभी नया हूँ, पुराना तो होने दो, दौर मेरा भी आएगा, दीवाना तो होने दो।