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Showing posts from March, 2018

एडवेंचरस शौच

वो सुबह-सुबह उठकर लोटे में पानी लिए कच्ची-पक्की, मोटी-पतली पगडण्डी से होते हुए अपने परम मित्रों के साथ दूर सरेह (जहाँ दूर-दूर तक खेत हों) में एडवेंचरस शौच के लिए जाना अब इतिहास की बातें हो गयी। खुले में शौच की पुरानी दास्ताँ अपने आने वाली पीढ़ी को सुनाया जायेगा क्योंकि हमारा वो एडवेंचर इस समाज के लिए हानिकारक था। #खुले_में_शौच #स्वच्छ_गाँव #दिव्य

◆वो सरकार बनाये जा रहे हैं◆

◆ वो उपचुनाव जीतते जा रहे हैं, ये सरकार बनाये जा रहे हैं। वो इटली घुमे जा रहे हैं, ये जनता को संबोधित किये जा रहे हैं। वो शूट-बूट छोड़ सूती में वोट मांगे जा रहे हैं, ये भगवा शूट-बूट में जनता के वोट हथिया रहे हैं। अब उनकी खटिया छोड़ो, उनके रस्सी घिसे जा रहे हैं, नया विपक्ष खड़ा करो, पुराने अब पीछे छूटे जा रहे हैं। अब भरम से बाहर निकलो भैया, जनता जाग रही है अच्छे-बुरे में फ़र्क अब नेताओं को समझाये जा रहे हैं।                        ~ दिव्यमान यती

आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं

◆आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं◆ आओ! होली इसबार साथ मनाते हैं, एक-दूसरे को गुलाल लगा कर, नफ़रत की होली खेलने वालों को मोहब्बत की होली सिखाते हैं.., आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं, पुरे देश को लाल, हरा, पीला, केसरिया हर रंग में रंगवाते हैं। इन रंगों वाले मज़हब को रंगों में मिलाते हैं, गले मिल, गुलाल लगा कर गिले-शिकवे मिटाते हैं आओ! होली कुछ ऐसे मनाते हैं। एक ही सुर,लय, ताल में फागुन के गीत गाते हैं, कुछ तुम हमें, कुछ हम तुम्हें इन रंगों का मतलब बताते हैं, होली की दिलचस्प कहानियाँ बुजुर्गों के पिटारों से निकलवाते हैं। आओ! होली कुछ ऐसे मानते हैं। #दिव्यहोली