Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2017

ये ख़ामोशी क्यों? और कब तक?

अभी भी बहुत से लोग ख़ामोश हैं क्यों? "शायद 7 लोग ही मरें हैं, और वो भी #अमरनाथ में ये हमारी सोच और समझ की सीमा के बाहर है, छोड़ो क्या बोलना।" ये एक कटु सत्य है। शांति की बात करने वाले और कश्मीर के #पत्थरबाजों को नादान कहने वाले, ज़रा उन पत्थरबाजों से पूछो, "क्या ये है तुम्हारी आज़ादी?" आज क्यों #कश्मीर शांत है क्योंकि कोई #बुरहान नहीं, कोई #हर्ष मारा गया है। मै पूछता हूँ ये देश ही क्यों शांत है। आप भाईचारे की बात करते हैं ना मै बताता हूँ कौन मेरा भाई है, #लेफ्टिनेंट_मोहम्मद_अयूब मेरा भाई है, वो ड्राईवर #सलीम_शेख़ मेरा भाई है, वो कश्मीरी मेरे भाई हैं जो अपनी जान देकर अपने देश की सेवा करते हैं। कोई #पत्थरबाज मेरा भाई नहीं हो सकता जो मज़हब देख कर पत्थर चलाता हो।

बंगाल हिंसा पर बुद्धिजीवियों का दोहरापन।

◆बंगाल हिंसा पर समाज के बुद्धिजीवियों का दोहरापन◆ मुझे अभी तक बंगाल में हुयी हिंसा की वज़ह और वहां के हालात का ठीक ढंग से जानकारी नहीं मिल पा रही। ये समाज का दोहरापन क्यों है इस समाज में। ना कोई राजनेता और ना ही कोई बुद्धिजीवी इस हिंसा पर कुछ बोल रहा है। हिंसा तो हिंसा है वो कही भी हो और किसी वज़ह से हो उसकी निंदा इस समाज के हर हिस्से में होनी चाहिये। कुछ बुद्धिजीवियों का यही दोहरा रवैया समाज़ के हालात को चिंताजनक बना रहा है। मुझे याद आता है इसके पहले भी बंगाल में हिंसा हुई थी लेकिन मीडिया वर्ग में भी उस हिंसा पर बहुत सीमित चर्चा होती थी। बात यही आकर थोड़ी ठहर जाती है। जितना प्यारा जुनैद है उतना ही प्यारा घोष भी है। पर कुछ संकुचित सोच वाले अपने पीछे के उपनाम पर ही लोगों का अवलोकन करते हैं। दिल में जो नफ़रत की मैल बैठ गयी है उसे पवित्र जल से धो दो। कृपया एक बार सोचें नफरतों से किसका भला हुआ है।