हमें क्या चाहिये इस ज़माने से
बस दो वक़्त की रोटी दिला दो,
खा लेंगें मोहब्बत से,
हमें ज़माने में फैली नफरतों से क्या करना है,
हमें तो अभी मतलब है बस
इस भूखे पेट की तपिश को मिटाने से,
बस दो वक़्त की रोटी दिला दो,
खा ही लेंगें मोहब्बत से।
तुम जितना चाहो उससे ज्यादा मुस्कुरा देंगे हम,
हर दर्द को भी छुपा लेंगे इस ज़माने से,
बस कहीं से दो वक़्त की रोटी दिला दो,
खा लेंगे मोहब्बत से।
फोटो साभार
written By DivyamanYati

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