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Showing posts from January, 2018

●आज़ाद ज़िस्म गुलाम सोच●

                ●आज़ाद ज़िस्म गुलाम सोच● जिस तिरंगे के लिये देश की सरहद पर  जवान ख़ुशी-ख़ुशी गोली खा लेते हैं आज वही तिरंगा देश के अंदर ही एक व्यक्ति की मौत की वजह बन गया। आपके पास तिरंगा है तो उसे घर में रखिये बाहर लेकर निकले तो आप पर पत्थर फेकें जायेंगे, गोलियाँ भी चलायी जा सकती हैं। आज़ादी के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानी तिरंगे को थामें अंग्रेजों से लोहा लेते थे वो आज़ादी के वक़्त की बात थी वो बात पुरानी हो गयी आज नया दौर है और भाई नयी कहानी भी तो लिखनी है। हम 'वन्देमातरम' क्यों बोले, हम 'भारतमाता की जय' भी क्यों बोले, हम तो राष्ट्रगान पर भी नहीं खड़े होंगे, ये सब आजादी से पहले स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किया जाता था।आज हम आज़ाद हैं हम अपनी मर्जी का करेंगें। वो आज़ादी के वक़्त की बात थी जब लोगों का मजहब या धर्म एक था "आज़ादी"। आज मजहब और धर्म अलग है भाई, कितनी बार कहा जाये भाईचारे की बात बार-बार ना किया करो। आज 'खान' का भाई 'खान' है और 'पाण्डेय' का भाई 'पाण्डेय' है। हम आजाद हैं.. हम आजाद हैं..हाँ हम आजाद हैं हम आग लगाएंगे, हम